Gedicht
Shubham Shree
ABOUT THAT BOY
with three days of stubbleevery guy looks hot
(that is what I believe)
and if, instead of the gym,
for a week he is hospital interned
then his eyes turn philosophic
yellow and melancholic
burning and lifeless
unsalted laughter, shrivelled smile
walking but to tire
on a fulsome evening, shawl-wrapped—looking at infinity
eating once, puking thrice
crouched in syringe-fear.
running her palm over the wistful face of that boy
the girl thinks deep within,
let me die but nothing should happen to him
ailing boys become suspicious of their lovers
they cannot read minds—these ailing boys.
© Translation: 2015, Prasanta Chakravarty
उस लड़क्रे को याद
उस लड़क्रे को याद
लीन दिन की शेव मेंहर लडका हॉट लगता है
(ऐसा मेरा मानना है)
और जिम के बदले
अस्पताल में पडा हो हफ्ते भर
तो आँखें दार्शनिक हो जाती है
पीली और उदास
उस लड़के को याद
जलती हुई और निस्तेज
बिना नमक की हँसी और सुखा मुस्कुराहटें
चले तो थक जाए
भरी शाम शॉल ओढ़ कर शुन्य में ताके
एक बार खाए, तीन बार उल्टी करे
दुबक जाए इंजेक्शन के डर से
उस लड़के के उदास चेहरे पर हाथ फेरती लड़की
मन ही मन सोचती है
मैं मर जाऊँ पर हसे कुछ न हो
बीमार लड़के प्रेमिकाओं पर शक करने लगते हैं
मन नहीं पढ आते बीमार लड़के
© 2014, Shubham Shree
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उस लड़क्रे को याद
लीन दिन की शेव मेंहर लडका हॉट लगता है
(ऐसा मेरा मानना है)
और जिम के बदले
अस्पताल में पडा हो हफ्ते भर
तो आँखें दार्शनिक हो जाती है
पीली और उदास
उस लड़के को याद
जलती हुई और निस्तेज
बिना नमक की हँसी और सुखा मुस्कुराहटें
चले तो थक जाए
भरी शाम शॉल ओढ़ कर शुन्य में ताके
एक बार खाए, तीन बार उल्टी करे
दुबक जाए इंजेक्शन के डर से
उस लड़के के उदास चेहरे पर हाथ फेरती लड़की
मन ही मन सोचती है
मैं मर जाऊँ पर हसे कुछ न हो
बीमार लड़के प्रेमिकाओं पर शक करने लगते हैं
मन नहीं पढ आते बीमार लड़के
ABOUT THAT BOY
with three days of stubbleevery guy looks hot
(that is what I believe)
and if, instead of the gym,
for a week he is hospital interned
then his eyes turn philosophic
yellow and melancholic
burning and lifeless
unsalted laughter, shrivelled smile
walking but to tire
on a fulsome evening, shawl-wrapped—looking at infinity
eating once, puking thrice
crouched in syringe-fear.
running her palm over the wistful face of that boy
the girl thinks deep within,
let me die but nothing should happen to him
ailing boys become suspicious of their lovers
they cannot read minds—these ailing boys.
© 2015, Prasanta Chakravarty
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